शिक्षा शास्त्र (Shiksha Shastra) किसे कहते है ? शिक्षा शास्त्र का विषय विस्तार
Shiksha Shastra Ki Paribhasha
शिक्षा शास्त्र ( shiksha shastra ) शिक्षण क्षेत्र का एक विस्तृत क्षेत्र है जिसके माध्यम से हम शिक्षण विधियों का अवलोकन करते हैं और शिक्षण क्षेत्र में उसके व्यापक रूप को उसके विस्तारित रूप को जानते हैं या यूं कहें शिक्षा शास्त्र शिक्षण क्षेत्र की एक विशेष भूमिका होती है जिसके माध्यम से शिक्षा को हम व्यापक रूप से समझ पाते हैं जान पाते, शिक्षाशास्त्र शिक्षण क्षेत्र का एक विस्तृत क्षेत्र है जिसके माध्यम से हम शिक्षण विधियों का अवलोकन करते हैं और शिक्षण क्षेत्र में उसके व्यापक रूप को उसके विस्तारित रूप को और जिद करते हैं जानते हैं या यूं कहें शिक्षा शास्त्र शिक्षण क्षेत्र की एक विशेष भूमिका होती है जिसके माध्यम से शिक्षा को हम व्यापक रूप से समझ पाते हैं जान पाते।
शिक्षा शास्त्र का विषय विस्तार (Shiksha Shastra Ka Vishay Kshetra)
शिक्षाशास्त्र का दर्शनशास्त्र, समाज शास्त्र, मनोविज्ञान आदि कई स्वतंत्र विषयों से संबंध है, शिक्षा शास्त्र इन विषयों की सामग्री लेकर अपने को विकसित करता हुआ एक स्वतंत्र विषय का रूप ले रहा है अतः शिक्षा शास्त्र के क्षेत्र में वह सभी विषय सम्मिलित किए जाते हैं जिनमें शिक्षा किसी ना किसी रूप से संबंधित है शिक्षा तथा इन विषयों के पारस्परिक संबंध से कुछ उप विषयों की रचना की जाती है।
जिनका अध्ययन शिक्षा शास्त्र के अंतर्गत किया जाता है यह उपविषय निम्नलिखित हैं।
- मनोविज्ञान
- शिक्षा दर्शन
- शिक्षा का इतिहास
- तुलनात्मक शिक्षा
- शैक्षिक समाजशास्त्र
- शैक्षिक संगठन एवं प्रशासन
- अध्ययन के अन्य क्षेत्र
- शैक्षिक समस्याएं
1 मनोविज्ञान
शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा हम बालक की प्रकृति, रुचि, प्रवृत्ति, अभिवृत्ति तथा योग्यताओं की स्मृति, चिंतन, कल्पना आदि शक्तियों का तथा बुद्धि विकाश क्रम व्यक्तिगत गुण की शिक्षा के आधार समझे जाते हैं।
2 शिक्षा दर्शन
जीवन उद्देश्य की प्राप्ति शिक्षा द्वारा होती है अतः जीवन दर्शन के आधार पर शिक्षा का स्वरूप उसके उद्देश्य उसका पाठ्यक्रम आदि निर्मित किए जाते हैं इन सभी बातों का अध्ययन शिक्षा दर्शन अध्ययन के अंतर्गत आता है अतः शिक्षा दर्शनशास्त्र के क्षेत्र का एक अंग है।
3 शिक्षा का इतिहास
चूंकि वर्तमान की उत्पत्ति अतीत पर आधारित होती है इसलिए प्रत्येक शिक्षा शास्त्री के लिए आदिकाल से अब तक शिक्षा के विकास का इतिहास जानना आवश्यक है जब तक हम शिक्षा के विकास में आज तक हुए परिवर्तनों का अध्ययन नहीं कर ले तब तक देश एवं काल के अनुकूल हम शिक्षा की संरचना नहीं कर सकते अतः शिक्षा के इतिहास का अध्ययन आवश्यक है।
4 तुलनात्मक शिक्षा
शिक्षा शास्त्र विषय के अंतर्गत हम दूसरे देशों की शिक्षा प्रणाली एवं प्रयोगों का भी अध्ययन करते हैं और अन्य देशों की उपयोगी बातों को अपनाकर हम अपनी शिक्षा प्रणाली को अधिक उपयोगी एवं आधुनिक बना लेते हैं।
5 शैक्षिक समाजशास्त्र
शिक्षा शास्त्र के अंतर्गत हम व्यक्ति तथा शिक्षा पर समाज के प्रभाव का तथा समाज पर शिक्षा के प्रभाव का अध्ययन करते हैं दूसरे शब्दों में हम यह मालूम करते हैं कि समाज का स्वरूप क्या है समाज और शिक्षा का संबंध क्या है शिक्षा की प्रक्रिया में समाज के क्या क्या कार्य हैं समाज के विकास में शिक्षा का क्या कार्य है शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन में पारस्परिक संबंध क्या है शिक्षा किस प्रकार समाज पर नियंत्रण करती हैं और समाज क्यों शिक्षा की व्यवस्था करता है इत्यादि बातों का अध्ययन करते हैं इस अध्ययन क्षेत्र को शैक्षिक समाजशास्त्र कहते हैं।
6. शैक्षिक संगठन एवं प्रशासन
शैक्षिक प्रशासन एवं संगठन भी शिक्षा शास्त्र के विषय माने जाते हैं शैक्षिक प्रशासन एवं संगठन के सिद्धांतों एवं प्रणालियों का अध्ययन करने से हमें शिक्षा की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए विद्यालयों का उचित एवं उपयोगी संगठन करने के लिए बहुत सी बातों का ज्ञान हो जाता है और सुसंगठित एवं सुप्रशासित विद्यालयों द्वारा हम शिक्षा की प्रक्रिया का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
7. अध्ययन के अन्य क्षेत्र
उपर्युक्त विषयों के अतिरिक्त हम शिक्षा शास्त्र के अंतर्गत कुछ बातें एवं विषयों का भी अध्ययन करते हैं, जैसे शिक्षण विधियों शिक्षण के विभिन्न स्तर अध्यापक शिक्षा शैक्षिक संघ सांख्यिकी शैक्षिक नियोजन शैक्षिक पुराने फाइनेंस मूल्यांकन एवं परीक्षण शैक्षिक अनुसंधान इत्यादि स्पष्ट है की शिक्षाशास्त्र (shiksha shastra) विषय का क्षेत्र अधिक व्यापक है
8. शैक्षिक समस्याएं
इस विषय में वर्तमान शैक्षिक समस्याओं पर भी विचार किया जाता है उनके समाधान के तरीके मालूम किए जाते हैं आज हमारे देश में अनेकों शैक्षिक समस्याएं हैं जब तक इसका समाधान नहीं किया जाता तब तक शिक्षा विकासशील नहीं कही जा सकती हो।