सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका - सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा में सम्बन्ध

समाजिक परिवर्तन, मानव जीवन की प्रमुख विशेषता है कि -" उसका सदैव एक सा ना रहना।" अन्य शब्दों में उसके जीवन में सदा कुछ ना कुछ परिवर्तन होते रहते हैं। मनुष्य समाज की इकाई है अतः उसमें होने वाले परिवर्तनों का प्रभाव समाज पर ही पड़ता है। समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को ही समाजिक को सामाजिक परिवर्तन कहते हैं। 

शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन Education and Social Change

मानव जीवन में होने वाले परिवर्तन समाज में भी परिवर्तन लाते हैं। इस कारण आज जो समाज का रूप है युगो पूर्व उसका यह रूप नहीं था।

संक्षेप में परिवर्तन एक सर्वव्यापी नियम है, मानव समाज का कोई ऐसा अंग नहीं जिसमें सदा कुछ ना कुछ परिवर्तन होता रहता हो कोई भी समाज जड़ स्थिर नहीं कहा जा सकता। इतना अवश्य है कि किसी समाज में यह परिवर्तन बड़ी तीव्रता के साथ होता है तो किसी समाज में मंद गति से।

हम किसी भी ऐसे समाज की कल्पना नहीं कर सकते जिसमें ना तो कोई परिवर्तन होता हो और ना ही उनमें कोई गतिशीलता हो वास्तव में संसार की प्रकृति परिवर्तनशील है समाज का जो ढांचा 100 वर्ष पहले था वह आज नहीं है और जो आज है वह कल नहीं होगा।

समाजिक परिवर्तन का अर्थ

परिवर्तन की प्रक्रिया निरंतर रूप से संसार की समस्त वस्तुओं को प्रभावित करती रहती हैं और समाज भी इससे बचा नहीं रह पाता अन्य शब्दों में समाज में सभी संस्थाएं, संस्कृति सभ्यता, परंपरा, रूढ़ियां, समितियां आज परिवर्तन की प्रक्रिया से प्रभावित होती हैं।

उदाहरण के लिए भारत की वैदिक कालीन सामाजिक व्यवस्था और आज की व्यवस्था में पर्याप्त अंतर मिलेगा।

सामाजिक परिवर्तन की परिभाषाएं

सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन क्योंकि समस्त संस्कृति अपनी उत्पत्ति अर्थ और प्रयोग में सामाजिक है", डासन एवं गेटिस जॉन्स -- "सामाजिक परिवर्तन वह शब्द है जो सामाजिक प्रक्रियाओं सामाजिक प्रति मानव सामाजिक पर्व पर संबंधित क्रियाओं या सामाजिक संगठन के किसी अंग में अंतर या रूपांतर को वर्णित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।"

मैकाइवर तथा पेज "इस परिवर्तन को ही सामाजिक परिवर्तन मानेंगे जोकि इनमें ( सामाजिक संबंधों में )हो"
गिलिन तथा गिलिन -"सामाजिक परिवर्तन जीवन के चित्र प्रकारों में परिवर्तन है भले ही यह परिवर्तन भौगोलिक दशाओं के परिवर्तन से हुए हो या सांस्कृतिक साधनों पर जनसंख्या की रचना या सिद्धांतों में परिवर्तन से हुए हो यह प्रसार से यह समूह के अंदर भी अविष्कार से हुए हों।

सामाजिक परिवर्तनों की विशेषताएं (Characteristics of Social Change)

1 सामाजिक परिवर्तन प्रकृति का अनिवार्य नियम है

सामाजिक परिवर्तन एक अनिवार्य और आवश्यक घटना है विभिन्न समाजों में परिवर्तन की मात्रा में अंतर हो सकता है लेकिन इससे बिल्कुल ना होने की संभावना नहीं की जा सकती है।

2 सामाजिक परिवर्तन एक जटिल तथ्य है

सामाजिक परिवर्तन की प्रकृति अत्यधिक जटिल होती है क्योंकि उसकी माप नहीं की जा सकती है मैकाइवर के अनुसार सामाजिक परिवर्तन का अधिक संबंध गुणात्मक परिवर्तनों से है और गुणात्मक तथ्यों की माप ना हो सकने के कारण उसकी जटिलता भी बहुत अधिक बढ़ जाती है।

3 सामाजिक परिवर्तन सामुदायिक परिवर्तन से संबंधित होता है

यदि ध्यानपूर्वक देखा जाए तो हमें ज्ञात होगा कि सामाजिक परिवर्तन का संबंध किसी व्यक्ति विशेष या समूह विशेष के जीवन में होने वाले परिवर्तनों से नहीं है वरन संपूर्ण समुदाय के जीवन में होने वाले परिवर्तनों से है अन्य शब्दों में जब किसी समुदाय के अधिकांश सदस्यों के संबंधों रीति-रिवाजों सामाजिक नियमों तथा विचार करने के तरीके में परिवर्तन हो जाता है तो हम उसे सामाजिक परिवर्तन कहते हैं।

4 सामाजिक परिवर्तन की गति एक समान नही होती है

प्रत्येक समाज में परिवर्तन अनिवार्य रूप से होता है परंतु यह बात भी ध्यान में रखने की है की परिवर्तन की गति प्रत्येक समाज में या एक ही समाज के विभिन्न पक्षों में समान नहीं होती।

5 सामाजिक परिवर्तन एक सार्वभौमिक तथ्य है

सामाजिक परिवर्तन बिना किसी अपवाद के संसार के सभी समाज में होता है अर्थात आदिम से आदिम समाज से लेकर आधुनिकतम सभी समाजों में सामाजिक परिवर्तन होते हैं।

6 सामाजिक परिवर्तन की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती

सामाजिक परिवर्तन के विषय में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है अर्थात सामाजिक परिवर्तन अनिश्चित होता है कोई भी व्यक्ति या दावा नहीं कर सकता है कि किसी समाज में कौन-कौन से परिवर्तन अवश्य होंगे परिवर्तन के संबंध में संभावना की जा सकती है निश्चित रूप से भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।


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