Chemical Coordination & Control: Endocrine System ( रासायनिक समन्वयन एवं नियन्त्रण: अन्तःस्रावी तन्त्र )
जन्तुकों के शरीर का आन्तरिक पर्यावरण स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र तथा एन्डोक्राइन तन्त्रिका तन्त्र द्वारा साम्यावस्था में बना रहता है। इन्डोक्राइन तन्त्र जटिल संरचना वाले रासायनिक यौगिकों, हॉर्मोन्स (hormones), द्वारा रासायनिक समन्वय स्थापित रखता है। यह मन्दगति सेवा (low speed service) की भाँति कार्य करता है और पाचन, उपापचय, उत्सर्जन वृद्धि एवं जनन आदि क्रियाओं का नियन्त्रण करता है।
अन्तःस्रावी या एन्डोक्राइन तन्त्र (ENDOCRINE SYSTEM)
मनुष्य व अन्य उच्च कशेरुकियों में तीन प्रकार की ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं :
1. बहिःस्रावी या एक्सोक्राइन ग्रन्थियाँ (Exocrine Glands)
ये ग्रन्थियाँ वाहिनियों द्वारा अपना स्राव शरीर की सतह या शरीर के अन्दर गुहाओ में स्रावित करती हैं।
उदाहरण: त्वचा की स्वेद ग्रन्थियों, लार ग्रन्थियाँ, आमाशय की दीवार में जठर ग्रन्थियाँ, यकृत, आदि एक्सोक्राइन ग्रन्थियाँ हैं।
2. अन्तःस्रावी या एन्डोक्राइन ग्रन्थियाँ (Endocrine Glands)
इन ग्रन्थियों में वाहिनियाँ नहीं होती। ये अपना स्राव सीधे रुधिर में स्रावित करती हैं, इसीलिए इनको एन्डोक्राइन ग्रन्थियाँ ( Endocrine Glands ) कहते हैं। इनके द्वारा स्रावित रासायनिक यौगिकों को हॉर्मोन (hormone) कहते हैं।
उदाहरण: पिट्यूटरी ग्रन्थि, थाइरॉयड ग्रन्थि, एड्रीनल ग्रन्थि आदि ।
3. मिश्रित या हेटेरोक्राइन ग्रन्थियाँ (Mixed or Heterocrine Glands)
ये मुख्य रूप से बहिःस्रावी होती हैं। किन्तु इनमें से कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाएं समूह में स्थित होती हैं तथा अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की भाँति हॉर्मोन का स्राव करती हैं।
उदाहरण: अग्न्याशय (pancreas) तथा जनद (gonads)।
अन्तःस्रावी तन्त्र की संरचना, कार्य प्रणाली और हॉर्मोन्स के प्रभाव के अध्ययन को अन्तःस्रावी तन्त्र या एन्डोक्राइनोलॉजी (endocrinology) कहते हैं। अन्तःस्रावी ग्रन्थियों एवं तन्त्रिका तन्त्र में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलेमस Playpothalamus) अन्तःस्रावी तन्त्र के साथ समन्वय बनाये रखता है। इसी कारण आजकल तन्त्रिका अन्तःस्रावी विज्ञान (neuroendocrinology) की स्थापना हुई है।
हॉर्मोन्स (HORMONES)
हॉर्मोन्स की परिभाषा (DEFINITION OF HORMONES)
Harmones को 'रासायनिक सन्देशकहक' (chemical messenger) कहते हैं। ये विशिष्ट उद्दीपनों के प्रभाव से शरीर के किसी एक भाग में अन्तःस्रावी ग्रन्थि द्वारा रुधिर में स्रावित होकर सारे शरीर में संचरित होते है किन्तु ये केवल लक्ष्य अंग ( Target Organ ) की कोशिकाओं की कार्यिकी को प्रभावित करते हैं।
आधुनिक परिभाषा के अनुसार हॉर्मोन्स ( Harmones ) ऐसे रासायनिक स्राव हैं जो विशेष कोशिकाओं द्वारा स्रावित होकर दूर या पास की अन्य विशिष्ट कोशिकाओं को कार्यिकी को प्रभावित करते हैं। प्रभावित होने वाली कोशिकाओं को लक्ष्य कोशिकाएं (target cells) कहते हैं तथा इनके स्राव को Harmones कहते हैं।
Harmone रुधिर या ऊतक द्रव के द्वारा लक्ष्य कोशिकाओं तक पहुँचते हैं अथवा तन्त्रिका कोशिकाओं के ऐक्सॉन में से इनका प्रवाह होता है। इनकी सूक्ष्म मात्रा ही शारीरिक क्रियाओं को प्रभावित करने के लिए काफी होती है।
हॉर्मोन्स की किस्में ( KINDS OF HORMONES )
लक्ष्य कोशिकाओं की स्थिति के आधार पर हॉर्मोन्स निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं :
1. अन्तःस्रावी हॉर्मोन्स (Endocrine Hormones) या परिसंचारी हॉर्मोन्स (Circulation Hormones) अथवा वास्तविक हॉर्मोॉन्स (True Hormones)
ये हॉर्मोन्स अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा सीधे रुधिर में पहुँचते हैं और सारे शरीर में प्रवाहित होते हैं किन्तु केवल लक्ष्य कोशिकाओं की कार्यिकी ही इनके द्वारा प्रभावित होती है। इनकी लक्ष्य कोशिकाएँ अन्तःस्रावी ग्रन्थि से दूर स्थित होती हैं।
2. ऊतकीय हॉर्मोन्स ( Tissue Hormones )
ये Hormones अन्त: स्रावी कोशिकाओं द्वारा सीधे ऊतक द्रव में पहुंचते हैं और की कोशिकाओं की कार्यिकी को प्रभावित करते हैं। इसी कारण इन हॉर्मोन्स को स्थानीय हॉर्मोन्स भी कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं।
- पराझात्री या पैरालाइन हॉर्मोन्स (Paracrine hormones) केवल आस-पास की कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं।
- स्वस्रावी या ऑटोक्राइन हॉर्मोन्स (Autocrine hormones) केवल उन कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं जो इनका स्राव करती है।
हॉर्मोन्स के गुण ( CHARACTERISTICS OF HORMONES ) / Harmones Ke Gune
- हॉर्मोन्स निम्न आण्विक भार वाले यौगिक है।
- ये पानी में विलेयशील होते हैं जिससे रुधिर द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवाहित होते हैं।
- अपना कार्य करने के बाद ये नष्ट हो जाते हैं या निष्क्रिय होकर उत्सर्जित हो जाते हैं।
- ये कार्बनिक उत्प्रेरक हैं और ऊतकों में कोयन्जाइम्स की भांति कार्य करते हैं।
- विसरणशील होने के कारण हॉर्मोन्स की थोड़ी-सी मात्रा ही शरीर की क्रियाओं का नियन्त्रण करने के लिए काफी होती है।
- कम अणुभार के कारण ये कोशिका की प्लाज्मा झिल्ली में से गुजर सकते हैं।
- ये कोशिकाओं को प्लाज्मा झिल्ली की पारगम्यता को बढ़ा देते हैं।
- विभिन्न क्रियाओं के फलस्वरूप ये नष्ट हो जाते हैं, अतः इनका निरन्तर स्राव होता रहता है।
- शरीर में हॉर्मोन्स का संचय नहीं होता, अतः ये बनते एवं नष्ट होते रहते हैं।
- ये रासायनिक उत्प्रेरक ( hormones work like chemical catalyst ) की भाँति कार्य करते हैं और शरीर को क्रियाओं को प्रेरित करते हैं, उनको गति बढ़ा देते हैं या फिर उसे कम कर देते हैं।
- कुछ हॉर्मोन्स सीधे रासायनिक क्रियाओं का नियन्त्रण करने की जगह कुछ अन्य अंगों को नियन्त्रित करते हैं। इनको लक्ष्य अंग (target organs) कहते हैं।
- एक ही हॉर्मोन विभिन्न जातियों के जन्तुओं में समान क्रिया को प्रभावित कर सकता है।
- अधिकतर हॉर्मोन्स उपापचय प्रतिक्रियाओं (metabolic reactions) में सीधे भाग नहीं लेते, बल्कि इनकी पूरी क्रियाशीलता को प्रभावित करते हैं।
हॉर्मोन्स की रासायनिक प्रकृति ( CHEMICAL NATURE OF HORMONES )
Hormones कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों के बने होते हैं:
1. ऐमीनो अम्ल से व्युत्पन्न हॉर्माना (Hormones Derived from Amino Acids)
ये हॉर्मोन्स आकार में सबसे छोटे होते हैं। ये टाइरोसॉन, हिस्टिडॉन तथा ट्रिप्टोफान (tyrosine, histidine and tryptophan) ऐमीनो अम्लो के डेरिवेटिव्स (derivatives) होते हैं। उदाहरण:
2. पेप्टाइड हॉर्मोन्स (Peptide Hormones)
इस प्रकार के हॉर्मोन्स एक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला के बने होते हैं। इनमें ऐमीनी अम्लों की संख्या 3 से 200 तक होती है।
उदाहरण : पिट्यूटरी ग्रन्थि की अग्रपालि से स्रावित ऑक्सीटोसीन तथा वेसोप्रेसीन (oxytocin and vasopressin), पिट्यूटरी ग्रन्थि को मध्यपालि से नावित मीलेनोसाइट स्टिमुलेटिंग (melanocyte-stimulating) हॉर्मोन, पॅक्रियास द्वारा स्रावित इन्सुलिन व ग्लूकैगॉन (insulin and glucagon) हॉर्मोन्स, थाइरॉयड का कैल्सिटोनिन, पैराथाइरॉयड का पैराचॉर्मोन (parathormone) तथा अग्र पिट्यूटरी द्वारा स्रावित एड्रीनोकार्टिकोट्रोपिक हॉर्मोन (adrenocorticotropic hormone) पेप्टाइड हॉर्मोन्स हैं।
3. ग्लाइकोप्रोटीन्स (Glycoproteins)
पिट्यूटरी ग्रन्थि के एडीनोहाइपोफाइसिस (adenohypophysis) द्वारा स्त्रावित थाइरोट्रोपिन (thyrotropin), फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (follicle stimulating hormone) तथा ल्यूटिनाइजिंग (luteinizing) हॉर्मोन ग्लाइकोप्रोटीन्स के उदाहरण हैं।
पेप्टाइड, प्रोटीन व ग्लाइकोप्रोटीन हॉर्मोन्स का संश्लेषण प्रोटीन संश्लेषण विधि के अनुसार जीन्स द्वारा नियन्त्रित होता है। नवसंश्लेषित अणु लम्बे व निष्क्रिय होते हैं। इन्हें फेरोमोन्स (pheromones) कहते हैं। गॉल्जी काय के अन्दर इनका रूपान्तरण व सान्द्रण होता है।
4. स्टेरॉयड्स (Steroids)
लिंग हॉर्मोन्स तथा एड्रीनल कॉर्टेक्स द्वारा स्रावित हॉर्मोन स्टेरॉयड्स के उदाहरण हैं। ये बसा में विलेयशील होते हैं। इनका संश्लेषण कोलेस्टेरॉल से होता है। Vitarnin D. cholesterol तथा bile salte से इनका गहरा सम्बन्ध होता है।
उदाहरण: Cortisone, aldosterone, testosterone estrogen तथा progesteronet
आइकोसनायड्स (Eicosanoids) 20 कार्बनीय वसीय अम्ल, अरैकिडोनिक अम्ल (arachidonic acid) से बनते हैं। ये स्थानीय हॉर्मोन्स होते हैं। कुछ ऊतकों में नाइट्रिक ऑक्साइड ( nitric oxide) भी स्थानीय हॉर्मोन का काम करता है।
हॉर्मोन्स के कार्य (FUNCTIONS OF HORMONES)
हॉर्मोन्स के विभिन्न कार्य इस प्रकार हैं:
1. उपापचय क्रियाएँ (Metabolic Activities)
कुछ हॉर्मोन उपापचय क्रियाओं का नियमन करते हैं अर्थात् ये कोशिकाओं में होने वाली रासायनिक क्रियाओं को तीव्र अथवा मन्द करते हैं। उदाहरण के लिए, इन्सुलिन कार्बोहाइड्रेट उपापचय को प्रभावित करता है।
2. मॉफौजेनिक क्रियाएँ (Morphogenic Activities)
हॉर्मोन्स जीवों के शरीर में ऊतकों के विभेदन, परिवर्धन एवं वृद्धि का नियमन करते हैं, जैसे thyroid, pituitary तथा gonads के हॉर्मोन्स
3. मानसिक सक्रियता (Mental Activities)
कुछ हॉर्मोन्स मानसिक सामर्थ्य का नियमन करते हैं। Thyroid को अल्पक्रियता के फलस्वरूप मानसिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
4. द्वितीयक लैंगिक लक्षण (Secondary Sexual Characters)
जनदों द्वारा स्रावित हॉर्मोन द्वितीयक लैंगिक लक्षण उत्पन्न करते हैं, जैसे testosterone नर में नर लक्षण तथा estrogens मादा में द्वितीयक स्त्री लक्षण विकसित करता है। स्त्रियों में गर्भ धारण करना तथा शिशु का जन्म हॉर्मोन्स द्वारा ही नियन्त्रित होता है।
5. समाकलन एवं समन्वय (Integration and Coordination)
कभी-कभी एक ग्रन्थि द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स अन्य ग्रन्थियों द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स के निर्माण को नियन्त्रित करते हैं।
6. होमियोस्टेसिस या समस्थापन (Homeostasis)
हॉर्मोन शरीर में आन्तरिक पर्यावरण को बनाए रखते हैं, शरीर के ताप का नियमन करते हैं, आयनिक सन्तुलन तथा रुधिर में ग्लूकोस के स्तर को बनाए रखते हैं।
हॉर्मोन्स के स्राव का नियन्त्रण पुनर्निवेश विधि (CONTROL OF HORMONAL SECRETION: FEEDBACK MECHANISM)
यदि किसी हॉर्मोन का स्राव आवश्यकता से कम या अधिक होता है तो शरीर में अनियमितताएँ या रोग उत्पन्न हो जाते हैं। अत: शरीर में साम्यावस्था या कार्यात्मक सन्तुलन बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि हॉर्मोन की केवल वांछित मात्रा का ही स्राव हो।
लक्ष्य कोशिकाओं में किसी हॉर्मोन के वांछित कार्य के पूरा हो जाने पर उससे सम्बन्धित हॉर्मोन की मात्रा रुधिर में बढ़ने लगती है तथा सम्बन्धित एन्डोक्राइन ग्रन्थि से इसके स्राव की मात्रा कम हो जाती है। इसी प्रकार परिस्थिति के अनुरूप किसी हॉर्मोन का उपयोग लक्ष्य कोशिकाओं में बढ़ जाता है। अतः लक्ष्य कोशिकाएँ हॉर्मोन के स्राव की दर को नियन्त्रित करती है तथा हॉर्मोन्स लक्ष्य कोशिकाओं को कार्यिकों का नियन्त्रण करते हैं। इस प्रक्रिया को पुनर्निवेश प्रक्रिया (feedback mechanism) कहते हैं।
हॉर्मोन्स एवं होमियोस्टेसिस (HORMONES AND HOMEOSTASIS)
सभी बहुकोशिकीय जीवों की कोशिकाएँ एक तरल माध्यम द्वारा पदार्थों का आदान-प्रदान करती है। यह तरल माध्यम जीवों के शरीर में अन्त:वातावरण बनाता है। कशेरुकी प्राणियों के अन्तः वातावरण में तीन प्रकार के तरल होते हैं : रुचिर, लिम्फ तथा उलक दथा तीनों तरल एक-दूसरे के सम्पर्क में होते हैं तथा ऊतक द्रव कोशिकाओं के सम्पर्क में होता है।
इसे अन्तराली द्रव (Interstitial fluid) अथवा कोशिकीय बाह्य तरल (extracellular fhuid) या ECF कहते है। कोशिकाएँ ऑक्सीजन, पोषक पदार्थ तथा आवश्यक अकार्बनिक आयन ECF से प्राप्त करती है और CO, नाइट्रोजनी उत्सजी पदार्थ व अन्य अपशिष्ट पदार्थों को इसमें मुक्त करती है। लसीका या लिम्फ रुधिर व ऊतक द्रव के बीच पदार्थों के आदान-प्रदान में सहायता करती है तथा अधिर लिम्फ के माध्यम से ऊतक द्रव की आवश्यक पदार्थों की सप्लाई करता है और हानिकारक या उत्सर्जी पदार्थों को कृतक देव (ECF) में से हटाता है।
उपर्युक्त आदान-प्रदान की सभी क्रियाएँ रासायनिक क्रियाएँ हैं। इनको सुचारू रूप से चलते रहने व कोशिकाओं की रखना आवश्यक है। अतः शरीर के आन्तरिक वातावरण या कोशिकीय बाह्य तरल को सन्तुलित बनाये रखने की क्रिया स्वापक पदार्थों को सप्लाई बनाये रखने के लिए ऊतक द्रव या कोशिकीय बाह्य तरल भौतिक व रासायनिक संघटन को सन्तुलित को होमियोस्टेसिस (homeostasis) कहते है। शरीर में विभिन्न भागों व अंगो की कोशिकाओं के बाहर पाये जाने वाले EC द्रव में समस्थैतिकता या होमियोस्टेसिस बनाये रखने तथा उनके बीच समन्वय स्थापित करने का काम अन्तःस्रावी तन्त्र (mdocrine system) ही करता है।
शरीर के विभिन्न अंग अपना कार्य तभी कर सकते हैं जब विभिन्न भागों को कोशिकाओं की क्रियाओं में तालमेल बन के इससे स्पष्ट है कि जिस प्रकार जीवाणुओं के संक्रमण से संक्रामक रोग तथा विटामिन की कमी से न्यूनता (deficiency) होते है, उसी प्रकार हॉर्मोन्स की कमी व अधिकता से कार्यिकी रोग (physiological disorders) हो जाते हैं।
हॉर्मोन्स की क्रिया-विधि (MECHANISM OF HORMONAL ACTION)
हॉर्मोन्स लक्ष्य कोशिकाओं की क्रियाशीलता को प्रभावित करते हैं और उनमें उपापचय को दर में वृद्धि करते हैं। एक ही हॉर्मोन का शरीर की सभी कोशिकाओं पर प्रभाव नहीं होता किन्तु एक हॉर्मोन को लक्ष्य कोशिकाएँ कई प्रकार की हो सकती है तथा विभिन्न प्रकार को लक्ष्य कोशिकाओं पर एक ही हॉर्मोन अलग-अलग प्रकार की क्रियाओं को प्रभावित करता है। हॉर्मोन्स कोशिकाओं को सक्रियता बढ़ाने का कार्य निम्नलिखित तीन विधियों से करते हैं। इनकी क्रिया विधि हॉर्मोन्स की रासायनिक प्रकृति पर निर्भर होती है।
- जोन स्तर पर प्रोटीन संश्लेषण को प्रभावित करके।
- द्वितीय सन्देशवाहक के माध्यम से कोशिका को कार्मिकों को प्रभावित करके।
- कोशिका कता की पारगम्यता को बदलकर कोशिका को कार्यिकी को प्रभावित करके।
1. जीन स्तर पर उपापचयी परिवर्तन (Change of Metabolism at Gene Level)
स्टेरॉयड हॉर्मोन्स तथा थाइरॉयड ग्रन्थि के हॉर्मोन्स लिपिड में घुलनशील होते हैं। ये लक्ष्य कोशिकाओ की कोशिका कला के फॉस्फोलिपिड स्तर से से पारित होकर सोधे कोशिकाद्रव्य में प्रवेश कर जाते हैं। यहां ये विशिष्ट ग्राही प्रोटीन (receptor) protein) अणु से जुड़कर ग्राही प्रोटीन संकर बनाते हैं। ये संकर अणु कोशिका के केन्द्रक में पहुंचकर सुप्त जीन या जीन्स को सक्रिय करते हैं। इनसे बने mRNA ट्रांसक्रिप्ट अणु कोशिका में विशिष्ट प्रोटीन्स का संश्लेषण प्रारम्भ करते हैं जो कोशिका के उपापचय को प्रभावित करते हैं।
भारतीय वैज्ञानिक G.P. Talwar (1964) के अनुसार स्टेरॉयड हॉर्मोन का प्रोटीन के साथ संयोग Ca2" आयनों को उपस्थिति में होता है।
थाइरॉयड ग्रन्थि द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स ( hormones by pituitary gland ) भी स्टेरॉयड हॉर्मोन्स ( Steroid Hormones ) के समान लिपिड्स में विलेय होने के कारण कोशिका कला से पारित होकर कोशिकाद्रव्य में पहुँचते हैं। चूंकि इनके ग्राही प्रोटीन्स केन्द्रक में DNA के साथ होते हैं, अत: ये सीधे केन्द्रक में पहुंचकर विशिष्ट जीन्स को उत्प्रेरित करते हैं।