Educational Technology । शैक्षिक तकनीकी का अर्थ और परिभाषाएं

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ ( Educational Technology Meaning )

शैक्षिक तकनीकी ( Educational Technology ) का अर्थ शिक्षा को इस ढंग से प्रदान किया जाए जिसमें आधुनिक तकनीकी का समावेश हो। शिक्षा मानव की अंदर की शक्तियों को बाहर लाती है। यह एक ऐसा परिवेश है जिसके द्वारा व्यक्ति के चिन्तन तथा व्यवहार में परिवर्तन आता है। उसकी व्यावहारिक दृष्टि सभी प्राणियों के लिए समान स्तर की होती है।

Educational Technology Meaning

इस प्रकार जब व्यक्ति की व्यापक दृष्टि में परिवर्तन आता है तो वह स्वयं नवीनता का अनुभव करते हुए समाज को नवीन विचार प्रदान करता है। इस प्रकार शैक्षिक तकनीकी का अर्थ शिक्षा के सभी अंगों को समझकर उनको क्रम से रखना है ताकि शिक्षा ग्रहण करने वालों को अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त हो सके।


Educational Technology Definition

शैक्षिक तकनीकी के अर्थ तथा स्वरूप को स्पष्ट करने के लिए शिक्षाशास्त्रियों ने निम्नलिखित परिभाषाएँ दी हैं-

(1) जी. ओ. एम. लीथ के शब्दों में-

“शैक्षिक तकनीकी सीखने और सिखाने में वैज्ञानिक ज्ञान का प्रयोग है। जिसके द्वारा शिक्षण एवं प्रशिक्षण की प्रक्रिया की प्रभावपूर्णता तथा दक्षता का विकास कर उसमें सुधार लाया जाता है।"

(2) एस. एस. कुलकर्णी के अनुसार-

"तकनीकी एवं वैज्ञानिक आविष्कारों और नियमों का शिक्षा की प्रक्रिया में प्रयोग ही शैक्षिक तकनीकी है।"

(3) श्री तिलक राज के कथनानुसार-

“शैक्षिक तकनीकी एक प्रणाली है जो अधिगम कोस रल, प्रभावी, स्थायी और व्यापक बनाती है।"

(4) नेशनल कौन्सिल ऑफ टेक्नोलॉजी, इंग्लैण्ड के अनुसार-

“शैक्षिक तकनीकी मानव के सीखने की प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए तथा उसे प्रोन्नत करने के लिए विधियों, प्रणालियों और सहायक उपकरणों का विकास, प्रयोग और मूल्यांकन है।”

(5) शिव के. मित्रा के शब्दों में-

“शैक्षिक तकनीकी को उन पद्धतियों और प्रविधियों का विज्ञान कहा जा सकता है, जिसके द्वारा लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।"

शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता (Needs of Educational Technology)

(1) इस व्यवस्था को लागू करके विश्वविद्यालयों में धन का उचित उपयोग किया जा सकता है। जिससे छात्रों को उचित मार्गदर्शन प्राप्त हो।

(2) पद्धति व्यवस्था को प्रयोग में लाकर शैक्षिक प्रबन्धन तथा प्रशासन की कमियों को दूरकि या जा सकता है।

(3) शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न अंग हैं। जिनके विशिष्ट अंगों तथा कार्यों का निरीक्षण करने के लिए शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता पड़ती है।

(4) कुछ विद्वान शोध कार्य करते हैं, जिसके आधार पर निर्देशन रेखाओं के मर्म को समझने में सरलता रहती है।

(5) शैक्षिक तकनीकी के द्वारा छात्र/छात्राओं की शिक्षा सम्बन्धी आवश्यकताओं को समझकर किसी न किसी निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है।

(6) पाठ्य सामग्री के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने के लिए मनोवैज्ञानिक, तार्किक या निर्णयात्मक मार्ग को अपनाया जा सकता है।

(7) शिक्षा सम्बन्धी लक्षणों की धारा को मोड़कर उसे व्यावहारिक रूप दिया जा सकता है।

(8) इस समय जिस प्रकार की परीक्षा प्रणाली प्रचलित है उसमें सुधार के सूत्र जोड़े जा सकते हैं।

(9) शैक्षिक तकनीकी के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किसी उच्च कोटि के उपागम का चुनाव किया जा सकता है।

(10) शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं- इस तथ्य ध्यान में रखकर विद्यार्थियों ने किस रूप में ग्रहण किया है, इस बात का सही मूल्यांकन किया जा सकता है।

(11) विद्यार्थी शिक्षा को ग्रहण करने में कितनी रुचि ले रहे हैं, इस बात का निर्णय उनकी योग्यता के आधार पर किया जा सकता है।

(12) पाठ्यवस्तु की वास्तविकताओं को समझकर उसे क्रमानुसार रखा जा सकता है। इसमें व्यवस्थित रूप की भी आवश्यकता है।

(13) विद्यार्थियों ने शिक्षा ग्रहण करने में कितनी रुचि ली है, इस बात का विश्लेषण तथा मूल्याकन किया जा सकता है।

(14) शिक्षा से सम्बन्धित अंगों की अलग-अलग ढंग से जाँच करके उन्हें नये ढंग से सम्पादित किया जा सकता है।

(15) शैक्षिक तकनीकी के द्वारा शैक्षिक कार्य को सरल, बोधगम्य, प्रभावकारी, विश्लेषणात्मक, रोचक तथा स्पष्ट बनाया जा सकता है।

(16) दूरस्थ शिक्षा (Distance Education) को सरल बनाने में शैक्षिक तकनीकी का प्रयोग किया जा सकता है।

शैक्षिक तकनीकी की विशेषताएँ (Characteristics of Educational Technology)

शिक्षाशास्त्रियों ने शैक्षिक तकनीकी की विशेषताओं के विषय में निम्नलिखित विचार व्यक्त किये हैं-

  1. शैक्षिक तकनीकी में शिक्षा, शिक्षण तथा प्रशिक्षण के क्षेत्र में वैज्ञानिक जानकारी का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. शैक्षिक तकनीकी स्मरण करने, अधिगम करने तथा मापक यन्त्रों के बनाने में सहायता कर सकती है।
  3. इसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है तथा अधिगम की स्थिति का आकलन किया जा सकता है।
  4. शैक्षिक तकनीकी सीखने की विधियों तथा प्रविधियों को उन्नत बनाने में प्रेरणात्मक रूप निर्धारित करती है।
  5. यह किसी भी व्यापारिक क्षेत्र की प्राप्ति तथा निवेश में सहायक है।
  6. शैक्षिक तकनीकी का मार्ग अलग न होकर शिक्षाशास्त्र का ही एक अंग है।
  7. यह याद करने की विधि को विभिन्न संसाधनों से सरल बनाती है।
  8. शैक्षिक तकनीकी की दृष्टि में विद्यालय एक परमावश्यक अंग है।
  9. यह ऐसी विधि है जिसमें निरन्तर विकास तथा प्रयोग के तन्त्रों का निर्माण होता रहता
  10. यह याद करने के साधनों का संगठन करने के लिए उपागम के नियमों को सरल तथा व्यवस्थित बनाती है।
  11. शैक्षिक तकनीकी का सम्बन्ध निरन्तर विकास से सम्बन्धित विधियों से है। इसके द्वारा शिक्षा में सुधार का कार्य भी किया जा सकता है।

शैक्षिक तकनीकी का महत्व  (Importance of Educational Technology)

शैक्षिक तकनीकी का शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक महत्त्व तथा उपयोगिता है। इसने शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्ति उत्पन्न कर दी है। शिक्षण तकनीकी ने शिक्षण प्रक्रिया को विशेष रूप से प्रभावित किया है।

शिक्षा तकनीकी का महत्त्वपूर्ण योगदान यह है कि इसके द्वारा शिक्षण के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। इससे पूर्व सीखने के सिद्धान्त बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते थे परन्तु ये सिद्धान्त शिक्षा की समस्याओं को हल नहीं कर सके। इसके अतिरिक्त शैक्षिक तकनीकी की निम्नलिखित उपयोगिताएँ हैं-

(1) इसके माध्यम से जनसाधारण के लिए शिक्षा, अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा तथा सतत् शिक्षा आदि कार्यक्रमों को प्रसार तथा विकास सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

(2) शिक्षण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली तथा सार्थक बनाया जा सकता है।

(3) शिक्षा के संगठन, प्रशासन व प्रबन्ध की समस्याओं का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन तथा विकास किया जा सकता है।

(4) आजकल जनसाधारण के पास रेडियो, ट्रांजिस्टर तथा टेलीविजन की सुविधाएँ सुलभ हैं। शिक्षा के लिए इन सब साधनों का उपयोग किया जा सकता है।

(5) विद्यार्थियों की सीखने की उपलब्धि में वृद्धि की जा सकती है।

(6) शैक्षिक तकनीकी के द्वारा अध्यापक की कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है।

(7) इसके प्रयोग से अध्यापक का कार्य सरल, स्पष्ट रुचिपूर्ण बन सकता है।

(8) अध्यापक का दृष्टिकोण, वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ठ एवं मनोवैज्ञानिक हो सकता है।

(9) शैक्षिक तकनीकी का प्रमुख आधार व्यवहार होता है। अतः इसके द्वारा अध्यापकों तथा विद्यार्थियों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाया जा सकता है।

(10) नवीन शिक्षण प्रतिपादन, शिक्षण उपकरण एवं विधियों से शिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है।

(11) इस तकनीकी की मदद से अध्यापक एक प्रबन्धक के रूप में विद्यार्थियों के एक बड़े समूह को कम समय तथा व्यय पर अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकता है।

(12) अभिक्रमित अध्ययन द्वारा व्यक्तिगत विभिन्नता की समस्या का हल तथा विद्यार्थियों में स्वतः अध्ययन करने की आदत का निर्माण किया जा सकता है।

(13) सूक्ष्म शिक्षण, सीमुलेटिड शिक्षण, अनुकरणीय शिक्षण (Role playing) आदि के द्वारा प्रशिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है।

(14) नवीन शिक्षण उपकरणों, विधियों तथा मशीनों के प्रयोग से शिक्षण को व्यावहारिक, सार्थक तथा प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है।

(15) राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के स्तर को ऊँचा किया जा सकता है।

(16) शैक्षिक तकनीकी ( Educational Technology ) के प्रयोग से शिक्षा में अनुसंधान एवं शोधकार्य का सुधार हो सकेगा।

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