अवलोकन क्या है अर्थ, परिभाषा, गुण और महत्व

अवलोकन  अर्थ Observation Meaning

किसी भी प्रकार के अनुसन्धान में तथ्य संकलन हेतु जिन अनेक प्रविधियों का प्रयोग किया जाता है उनमें अवलोकन या निरीक्षण प्रणाली सबसे प्राचीन, आधारभूत, सरल एवं उपयोगी है। इस Observation Method द्वारा तथ्यों का संकलन करते समय अनुसन्धानकर्ता स्वयं अपनी आँखों से देखकर विविध रूपों में अन्तर्निहित कारकों एवं विशेषताओं से सम्बन्धित तथ्यों को अंकित करता है।

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आधुनिक युग में अवलोकन Observation प्रणाली को विभिन्न यन्त्रों एवं मशीनों के प्रयोग के द्वारा और भी अधिक सूक्ष्म एवं विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया गया है। इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए गुड एण्ड हाट (Goode and Hatt) ने लिखा है “विज्ञान science का आरम्भ अवलोकन से होता है और औचित्य की पुष्टि के लिए इसे अवलोकन में ही लौटना चाहिए।"

अवलोकन परिभाषा Observation Difination


साधारणतया आँखों से देखकर किसी वस्तु या घटना के बारे में सूचना संग्रह को ही Avlokan की संज्ञा दी जाती है किन्तु सामाजिक अनुसन्धान में घटना का निरीक्षण करने के साथ-साथ वस्तुनिष्ठता, निष्पक्षता एवं तटस्थता का गुण भी अवलोकन को अनुसन्धान की एक प्रविधि के रूप में अलग-अलग ढंग से परिभाषित कर स्पष्ट करने की चेष्टा की है। इसमें से प्रमुख दृष्टिकोण निम्न हैं :-


पी. वी. यंग (P. V. Young) के अनुसार, "अवलोकन, आँखों द्वारा विचारपूर्वक अध्ययन की एक प्रविधि के रूप में काम में लाया जाता है जिससे कि सामूहिक व्यवहार और जटिल सामाजिक संस्था की पूर्ण इकाइयों का अध्ययन किया जा सके।"


मोजर एवं कैल्टन (Moser and Kalten) के शब्दों में, "विशिष्ट अर्थ में Observation में कानों तथा वाणी की अपेक्षा नेत्रों का प्रयोग होता है।"


कुर्ट लेविन (Kurt Lewin) का अपना कथन है, "सभी प्रकार के अवलोकन, अन्ततः घटनाओं के विशेष समूहों में वर्गीकरण होते हैं। वैज्ञानिक विश्वसनीयता सही प्रत्यक्षीकरण और वर्गीकरण पर आधारित होता है।"


डोलार्ड (Dollard) के अनुसार, "अवलोकन अनुसन्धान के एक प्राथमिक यन्त्र के रूप में मानव-बुद्धि का अवलोकन तथा अनुभवों के आधार पर ज्ञान प्राप्त करता है।"


आक्सफोर्ड कन्साइज शब्दकोष (Oxford Concise Dictionary) के अनुसार, "कारण और परिणाम अथवा पारस्परिक सम्बन्धों के आधार पर जिस रूप में घटनायें घटित होती है उन्हें उसी परिशुद्ध रूप में देखना और उनका आलेखन कर लेना ही अवलोकन या निरीक्षण है।"

इस प्रकार उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि अवलोकन नेत्रों द्वारा घटना को देखकर किये गये तथ्य संकलन की एक प्रविधि है, किन्तु इस सन्दर्भ में यह ध्यान रखना चाहिए कि अवलोकन उद्देश्य को ध्यान में रखकर, व्यवस्थित ढंग से किया गया हो क्योंकि तभी विश्वसनीयता एवं वस्तुनिष्ठता को प्राप्त किया जा सकता है।

अवलोकन की विशेषताएँ Features of observation

सामाजिक अनुसंधान की एक प्रविधि के रूप में हम अवलोकन की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख कर सकते हैं -


(1) प्रत्यक्ष अध्ययन- अवलोकन की सर्वप्रथम विशेषता यह है कि यह अन्य पद्धतियों की तरह अप्रत्यक्ष रूप से नहीं बल्कि प्रत्यक्ष रूप से घटना का अध्ययन करती है। इसमें अनुसन्धानकर्ता किसी द्वैतीयक स्त्रोत का सहारा न लेकर स्वयं अपने अध्ययन क्षेत्र में जाता है और स्वयं प्रत्यक्ष रूप से घटना को देखकर उससे सम्बन्धित तथ्यों का संकलन करता है। इससे तथ्यों में पक्षपात या अतिशयोक्ति की सम्भावनाएँ कम हो जाती हैं।


(2) मानव इन्द्रियों का प्रयोग- इस प्रविधि में मानव इन्द्रियों का प्रयोग किया जाता है जिसमें वाणी, कान एवं आँख प्रमुख हैं फिर भी वाणी एवं कान की तुलना में यह आँखों के अधिक प्रयोग पर जोर देती है। मोजर तथा कैल्टन ने भी इसी तथ्य पर अधिक जोर दिया है। वे लिखते हैं, "विशिष्ट अर्थ में अवलोकन में कानों तथा वाणी की अपेक्षा नेत्रों का प्रयोग होता है।"

"In the strict sense observation implies the use of eyes rather than of the ears and voice."


 (3) प्राथमिक सामग्री का संकलन- किसी भी प्रकार के अनुसन्धान में किसी सत्य या निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए घटना से सम्बन्धित तथ्यों का संकलन प्रथम चरण होता है। तथ्यों का संकलन दो प्रकार के स्त्रोतों से हो सकता है (1) प्रारम्भिक और (2) द्वैतीयक। द्वैतीयक सामग्री किसी के द्वारा बताई गयी सूचना या लिखित प्रलेखों आदि के रूप में हो सकती है जबकि प्राथमिक सामग्री को स्वयं अध्ययनकर्ता घटना का सूक्ष्म निरीक्षण कर संकलित करता है। इसीलिए यह द्वैतीयक की तुलना में अधिक विश्वसनीय मानी जाती है। 


 (4) अध्ययन क्षेत्र में जाकर अध्ययन - अवलोकन प्रविधि का प्रयोग कर अध्ययन करते समय अनुसन्धानकर्ता किसी दूसरे के द्वारा दी गयी सूचना मात्र को सत्य नहीं मान लेता बल्कि स्वयं अपने अध्ययन क्षेत्र में जाकर सहभागी या असहभागी जैसी भी आवश्यकता होती है, अवलोकन करता है तभी तथ्यों को संग्रह करता है।

 (5) सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन- चूंकि अनुसन्धानकर्ता अपने अध्ययन क्षेत्र में स्वयं घटना को बड़े नजदीक से देखता है इसलिए यह विश्वास किया जा सकता है कि उसका वास्तविक स्वरूप क्या है। अस्तु, अवलोकन सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन की भी एक विशिष्ट प्रविधि है। 


(6) उद्देश्यपूर्ण अवलोकन- अनुसन्धान का सदैव एक स्पष्ट उद्देश्य होता है तथा अवलोकन प्रणाली इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर तथ्य संकलन पर बल देती है।


(7) वैज्ञानिक पद्धति- अवलोकन को हम एक विशुद्ध वैज्ञानिक प्रविधि की संज्ञा देते हैं क्योंकि इसमें स्वयं अनुसन्धानकर्ता प्रत्यक्षरूप से घटना का निरीक्षण करने के पश्चात ही विश्वस्त हो जाने के पश्चात के तथ्यों का संकलन करता है और पूर्ण तटस्थता का परिचय देता है। 


(8) कार्य-कारण सम्बन्ध स्पष्ट करना अवलोकन प्रणाली के द्वारा अनुसन्धानकर्ता सामाजिक घटनाओं में अन्तर्निहित सम्भावनाओं एवं असमानताओं तथा उसके लिए उत्तरदायी कारकों आदि का अध्ययन कर कार्य कारण के सम्बन्ध को भी दर्शाने की चेष्टा करता है जो कि विज्ञान की एक आवश्यक विशेषता मानी जाती है।


अवलोकन का महत्व (Importance of Observation)

सामाजिक अनुसंधान में अवलोकन प्रविधि अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है। चूंकि इसमें अध्ययनकर्ता स्वयं अपने अध्ययन क्षेत्र में जाकर स्वयं घटना का प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण करता है इसीलिए इसमें सरलता के साथ ही अध्ययन की वैज्ञानिकता, वस्तुनिष्ठता, सूक्ष्मता एवं गहराई तथा विश्वसनीयता भी अन्य प्रविष्टियों की तुलना में अधिक पाई जाती है। गुड एवं हाट (Goode and Hatt) ने अवलोकन प्रविधि के महत्व के संदर्भ में लिखा है, "विज्ञान अवलोकन से ही प्रारम्भ होता है और अन्तिम प्रामाणिकता के लिए अवलोकन की ओर ही लौटता है।" चूँकि सामाजिक अनुसंधान का उद्देश्य घटना के अन्तर्निहित कारकों एवं उनके अन्तः समबन्धों की खोज करना होता है, और अवलोकन उद्देश्य की पूर्ति करता है, इसलिए इसकी उपयोगिता के बारे में कोई सन्देह नहीं हो सकता।

श्रीमती पी. वी. यंग (Mrs. P.V. Young) के कथनानुसार, "निरीक्षण observation का उद्देश्य जटिल सामाजिक घटनाओं, सांस्कृतिक प्रतिमानों का मानव आचरण में विद्यमान महत्वपूर्ण अन्तः सम्बन्धित तत्वों की प्रकृति तथा सीमा का ज्ञान प्राप्त करना है।"


उपरोक्त आधार पर हम अवलोकल का महत्व निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत और भी स्पष्ट कर सकते हैं-

1. प्राथमिक एवं सरल पद्धति (Primary and simple Method) - अवलोकन प्रणाली अनुसंधान की सबसे प्राथमिक एवं सरल प्रणाली मानी जा सकती है क्योंकि इसका प्रयोग करने के लिए किसी विशिष्ट तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती। जब से मानव ने पृथ्वी पर कदम रखा सम्भवतः उसी समय से अपने चारों ओर की दुनिया को समझने के लिए उसने अवलोकन का ही सहारा लिया होगा। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह प्रविधि कितनी पुरानी, सरल एवं उपयोगी है।


2. उपकल्पना के निर्माण में सहायक (Helpful in the formulation of Hypothesis) - उपकल्पना का निर्माण अनुसंधानकर्ता बहुत कुछ अपने अनुभवों के आधार पर करता है। चूंकि अवलोकन में अध्ययनकर्ता विभिन्न घटनाओं का अवलोकन करता रहता है जिससे उसके अनुभव में निरन्तर वृद्धि होती जाती है। यही अनुभव कालान्तर में विभिन्न उपकल्पनाओं के निर्माण का प्रमुख आधार बनता है। 


3. विश्वसनीयता (Reliability) अवलोकन प्रविधि का अपना एक विशेष योगदान यह भी रहता है कि इसके द्वारा संकलित तथ्यों में यथार्थता एवं विश्वसनीयता की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसका प्रमुख कारण यह होता है कि अनुसंधानकर्ता किसी के बताये हुए तथ्यों को स्वीकार न करके स्वयं घटना का अध्ययन करता है। 


4. सत्यापन की सुविधा (Facility of reverification) सामाजिक अनुसंधान में प्रयुक्त होने वाली किसी अन्य प्रविधि की तुलना में अवलोकन द्वारा संग्रहीत तथ्यों में सत्यापन की कहीं अधिक सुविध ॥ होती है। यदि अनुसंधानकर्ता आवश्यक समझता है तो घटना का पुनः निरीक्षण कर पहले के संकलित

तथ्यों का सत्यापन कर सकता है जिससे अनुसंधान की वैज्ञानिकता में वृद्धि होती है। 


5. सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाली प्रविधि (Most widely used method)- सबसे प्राचीन प्राथमिक एवं सरल प्रणाली होने के कारण अवलोकन का विभिन्न प्रकार के अनुसंधानों में सबसे अधिक प्रयोग देखने को मिलता है चाहे प्राकृतिक विज्ञान हो या सामाजिक विज्ञान, दोनों ही के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होता है।

मोजर महोदय (Moser) का इस सन्दर्भ में कथन उल्लेखनीय है। आप लिखते हैं,

"व्यक्तियों की दैनिक क्रियाओं का निरीक्षण एक समाजशास्त्री को अन्य विधियों से कठिनाई से प्राप्त होने वाले तथ्यों को विश्वसनीय रूप में उपलब्ध कराता है।"

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